दो आसानी से मिलने वाले साधारण पौधे, इन दर्जन भर रोगों में हैं पक्की दवा
- Dainikbhaskar.com
- Mar 29, 2014, 01:11:00 PM IST
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उज्जैन। लटजीरा और चिरोटा या चक्रमर्द हि के लगभर हर प्रांत में पाए जाते हैं। खेत, मैदानी भागों, सड़क के किनारे और जंगलों में प्रचुरता से पाए जाने वाले इन पौधों को अधिकतर लोग फालतू समझकर फेंक देते हैं। दरअसल इसका कारण ये है कि इन्हें किसी खरपतवार से कम नही माना जाता है। यदि आप भी आज तक इन पौधों को फालतू समझते आए हैं तो आज हम आपको बताते हैं इन पौधों के खास गुणों के बारे में....
- चिरोटा के बीजों को पानी में पीसकर रोग से प्रभावित अंग पर लगाएं। इससे दाद-खाज और खुजली की समस्या खत्म हो जाती है। आधुनिक विज्ञान भी इसके एंटी-बैक्टिरियल गुणों को साबित कर चुका है।
- चिरोटा की पत्तियों और बीजों का काढ़ा बनाकर लेेंं। काढ़ा बनाने के लिए लगभग 50 ग्राम पत्तियों को 2 कप पानी में उबालें। यह पानी उबाल कर आधा कर लें। इसे लेने से पीलिया दूर हो जाता है।
लटजीरा और चिरोटा (चक्रमर्द) के औषधीय गुणों के संदर्भ में रोचक जानकारियों का जिक्र कर रहें हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों, जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
इसकी जड़ का चूर्ण बनाएं। चूर्ण में नींबू का रस मिलाएं और दाद-खाज पर लगाएं। लेपित करने के बाद इस पर सूती कपड़े की पट्टी लपेट लें। रोजाना ऐसा करने से एक सप्ताह के भीतर ही दाद-खाज की छुट्टी हो जाती है।
- चिरोटा की पत्तियां और बीजों को कुचलकर पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट को बवासीर होने पर रोगी के घाव पर लेप करें, आराम मिल जाता है।
- मुर्गी के अंडों से एल्बूमिन (अंडे के अंदर का चिपचिपा तरल पदार्थ) के साथ पत्तियों को पीस लें। इस मिश्रण को अच्छी तरह से फेंट कर टूटी हुई हड्डियों पर लगाएं। हड्डियां जुड़ जाएंगी।
- पत्तियों के काढ़े को दांतों पर लगाएं। इसी काढ़े से कुल्ला करने से दांतों की समस्या जैसे दांत दर्द, मसूड़ों से खून आना आदि समस्याओं में आराम मिलता है।
- चिरोटा की पत्तियों का उपयोग आदिवासी लोग सब्जी की तरह करते हैं। सब्जी के तौर पर ऐसा माना जाता है कि यह बहुत पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं।
- 10 ग्राम बीजों को एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। यह काढ़ा बच्चों को देने से पेट के कृमि मर जाते है।
- चिरोटा की पत्तियों को बारीक पीसकर दाद-खाज, खुजली, घाव आदि पर लगाया जाए तो शीघ्र आराम मिल जाता है।
संतान प्राप्ति के लिए लटजीरा की जड़ को दूध में घिस लें। इसे महिला को मासिक धर्म के दौरान सेवन कराया जाए तो संतान प्राप्ति होती है।
- सर्दी और खांसी में लटजीरा के पत्तों का रस लेना बहुत गुणकारी होता है। दिन में दो से तीन बार इस रस का सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है।
- लटजीरा के बीजों को पानी में उबाल लें। इस काढ़े को लेने से लीवर (यकृत) की समस्या में आराम मिलता है।
लटजीरा पत्तों के साथ हींग चबाने से दांत दर्द में तुरंत आराम मिलता है। दांतों से निकलने वाले खून को भी रोकने में यह काफी कारगर होता है। मसूड़ो से खून आना, बदबू आना और सूजन में लटजीरा की दातुन उपयोग लाने पर तुरंत आराम मिलता है।
- लटजीरा के बीजों को मिट्टी के बर्तन में भूनकर सेवन करें। इससे भूख कम हो जाती है। वजन घटाने के लिए भी यह एक कारगर उपाय है।
- लटजीरा के तने को पीसकर कत्थे के साथ मिलाएं। इसमें 2-4 पत्तियां सीताफल की कुचलकर डाल दें। ये सारा मिश्रण पके हुए घाव पर लगाएं। इससे घाव में आराम मिल जाता है।
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